गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

भारतीय संस्कृति के नाम पर पीछडो-दलितों के खिलाफ जहर

जैनों के महाराज चंद्रशेखर विजयजी की अंतिम यात्रा का द्रश्य,
इन्सेट में महाराज, जो भारतीय संस्कृति के नाम पर दलितों-
पीछडों के खिलाफ जहर उहलते रहे


एक समुदाय का महाराज मर जाता है तो उसको जलाने के लिए भी पैसे की बोली लगती है, और रू. 5.5 करोड रूपिया देनेवाला आदमी मुखाग्नि प्रगटाने का सन्मान प्राप्त करता है. अब इस देश में रू. 5.5 करोड आप खड्डे खोदकर या झाडु मारकर या कपडे बुनकर तो कमा नहीं सकते. उसमें बहुत सारा हिस्सा काले धन का जरूर होगा. और आप ढेर सारे चार्टर्ट एकाउन्टन्ट्स को रूश्वत देकर इतना काला धन अर्जित करते हो और वह कीसी धार्मिक संत या स्वामी या महाराज के पीछे लूटाते हो तो वह महाराज भी आपके काले धन की रखवाली करनेवाला बडा आइडीयोलोग ही होना चाहिए. गुजरात में जैनों का चंद्रशेखर विजयजी महाराज ऐसा ही आइडीयोलोग था, जिसके कहने पर नरेन्द्र मोदी ने स्लोटरहाउसीस बंध करवाये. इन्ही लोगों की प्रेरणा से गुजरात में तथाकथित अहिंसाप्रेमी सज्जनों चंद कसाईओं को दुनिया के सबसे बडे हत्यारे घोषित करने का अभियान चला रहे है. ऐसे चंद्रशेखरविजयजी महाराज अपनी किताब में दलितों-पीछडों के बारे में क्या कहते, जरा गौर करें.   

"एक समय ऐसा आयेगा कि राजकरण के प्रशानिक क्षेत्र में सभी जगह बी.सी. का प्रभुत्व हो जायेगा। राष्ट्रपति बी. सी., प्रधानमंत्री बी. सी., बैंक में बी. सी., लश्कर में बी.सी. सभी जगह उनके आधिपत्य के नीचे आ जाएगी भारत की बलवान प्रजा क्षत्रिय, वेद, विद्या-व्यासंगी प्रजा ब्राह्मण, बुद्धिमान प्रजा जैन!"

"इससे किसी का कल्याण नहीं हो सकता। बी. सी. का भी नही, क्योंकि इन क्षेत्रों में उनका काम नहीं है। वहां जिस प्रकार की शक्ति, बुद्धि वगेरे की जरुरत है, वह उन्हें विरासत में मिली ही नहीं है। सिर्फ शिक्षण से सब कुछ नही मिलता। उन्हे उंचा लाने का कोई दूसरा रास्ता भी नही है।"

"संस्कृति के जानकार कहते है कि उन्हे उंचा लाना हो तो उनकी रोजी-रोटी का वंशपरंपरागत जो व्यवसाय था, वह वापस लाना होगा। हरिजनों को उनका हाथशाल का धंधा, गिरिजनो को उनके अडाबीड जंगल वापस सोंप देने पडेंगे।"

"जगजीवनराम जैसे किसी को प्रधान बना देने से, एक ही नल से सब को पानी पिलाने से सब का पेट नही भरनेवाला। यह तो धोखाधडी है। पिछडी कही जानेवाली जातिओं को गलत रुप से भडकाकर उन्हे बर्बाद और बेहाल करने की कूटनीति है।" ( अब तो तपोवन ही तरणोपाय, पा.47)


3 टिप्‍पणियां:

  1. raju, is this book available in English? this is horrible particularly when it is coming from the mouth of a religious leader who commands great following!

    if this is what the Hindu and Jain sadhus think, then i am afraid, they will lead this country in to a bloody civil war.

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  2. actually, they have already engulfed country in civil war, but it has taken a new form, like Gujarat genocide 2002, where Muslims were at receiving end.

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  3. Mr. Raju, You have penned some books. Do you send me the same by post? I will pay the cost.
    Thanks

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