गुरुवार, 3 अप्रैल 2014

अब कौन सा चमत्कार होना बाकी है?




180 किलो वजन का यह आदमी जो अपने पूरे बदन को सोने के गहनों से ढंकता है, भेसासुर की तरह आलापता है कि फेंकु चमत्कार करेगा. जहां एक ही दिन में हजारों लोगों की कत्ल हो जाती है, औरतों पर बलात्कार होता है, जिस देश में हर साल 46,000 लोग सांप के डंसने से और उससे भी कई गुना लोगो पोलिटिकल पार्टियों के नेताओं के डंसने से मरते है, उस देश में अब कौन सा चमत्कार होना बाकी है?

तीन वाल्मिकी युवाओं की मौत और फेंकु सरकार का परिपत्र

हिन्दुत्व का नाला, जहां तीन युवा वाल्मीकियों की मौत हूई





फेंकु सरकार का परिपत्र





गुजरात के उंझा शहर में तीन वाल्मीकि भाई ड्रेनेज लाइन की सफाई करने गये और सांस रुंधने से उनकी मौत हो गई. गुजरात सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारीता विभाग ने ता. 26 मार्च, 2013 को निकाले परिपत्र मॆं घोषित किया है कि अब पूरे गुजरात राज्य में कहीं भी मेन्युअल स्केवेन्जर्स दिखाई नहीं देते. (राज्य मां कोइपण जग्याए मेन्युअल स्केवेन्जर्स जणायेल नथी). इस परिपत्र निकालने के एक साल बाद तीन सफाई कर्मियों की मौत होती है. यह श्रीमान फेंकु का गुजरात है. यहां सरकार का हर डिपार्टमेन्ट गप मारने में एक दूसरे से स्पर्धा करता है. तीन-तीन युवाओं की मौत से यह साबित होता है.






रविशकुमार को क्या हो गया है?





एनडीटीवी के रविशकुमार को क्या हो गया है? जब समूचा इलेक्ट्रोनिक मीडीया गुजरात के फेंकु की स्तुति कर रहा है, तब रविशजी उल्टी गंगा बहा रहे हैं. कल नोइडा में जाकर मज़दूरों से मीले. उनसे पूछा कि अरबों रुपया विज्ञापनों के पीछे खर्चा करनेवाली पार्टियों क लिए मज़दूरों की स्थिति कोई मुद्दा बनती है कि नहीं. ओर परसों वे गए थे मेरठ के एक गांव में, जहां दलितों को बांटने के लिए सियासत चल रही है, जाटवों के घरों पर नीला झंडा है, सवर्णो के घरों पर भगवा है. जहां जमीनी सच्चाई जानने के लिए आसमान में झंडा देखना पडता है.