सोमवार, 18 नवंबर 2013

कैसे भारतरत्न चाहिए?



उन्हे अब ऐसे ही भारतरत्न चाहिए, जो सिर्फ बल्ला घुमाकर या कोई सूरीला गाना गाकर सब का मनोरंजन करें, क्योंकि ऐसे मनोरंजनबाज लोग उन्हे कोई असुविधाजनक सवाल नहीं पूछेंगे, ऐसा कभी नहीं पूछेंगे कि इस देश में हररोज तीन हजार लोग कुपोषण, गरीबी, भूखमरी और टीबी से क्यों मरते हैं?

शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

देश में कुपोषण




विश्व के भूखमरी से पीडित देशो की सूचि में प्रथम पंद्रह देशो में भारत है. पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश भी इस संदर्भ में भारत से बहेतर स्थिति में है. भारत के विभिन्न राज्यों में मध्यप्रदेश साठ प्रतिशत कुपोषण के साथ सबसे उपर है. मध्यप्रदेश में कांग्रेस हो या बीजेपी, किसी के भी राज में कुपोषण की शर्मनाक स्थिति में कोई फर्क नहीं पडा. मध्यप्रदेश के बाद झारखंड, बिहार, मेघालय, छत्तीसगढ और गुजरात में कुपोषण का झंडा लहराता हुआ दिखाई देता है. यह छह राज्यों में कुपोषण देश के औसत से भी ज्यादा है.

सोमवार, 12 अगस्त 2013

मनुस्मृति और सोशल मीडीया



वैसे तो मनुस्मृति के हिसाब से भी सोशल मीडीया से दूर रहेना चाहिए. किसी व्यक्ति का सिर्फ फोटो देखकर आप उसे दोस्त कैसे बना सकते हैं? दोस्ती का आधार तो आप की जाति है, जो चार वर्ण की नींव है और चार वर्ण मैंने ही बनाया ऐसा खुद भगवान ने गीता में कहा है.

रविवार, 21 अप्रैल 2013

तुम्हे डाकिन नहीं कहूँगा माँ

तुम्हे डाकिन नहीं कहूँगा माँ
तुम्हारा दूध अमृत का झरना
माँ, तुम्हे डाकिन नहीं कहूँगा

माफ़ कर दूंगा उनको
जो तुम्हे तरछोड़ कर
चले गए डोलरिया देशमें
उनके साफ सुथरे सूत-बुटकी
इतनी भी इर्षा नहीं करूँगा
वाइट हाउस की शीतल छाया उन्हें मुबारक.

तुम पुकारोगी तो
सबसे पहले मै  आऊंगा तुम्हारे साथ.
भुला दूंगा सर पर मैला उठाती मेरी गर्भवती स्त्री को.
चैत्र की तपती  धूपमे
कमर से टेढा मेरा बाप
जो खेत काम ढूंडता
भुला दूंगा
सर पर अत्याचारों की जलती सिघ्डी
उठाये हिजरत करते मेरे बांधवों को ..
मै सब कुछ भुला दूंगा
तुम्हारी प्रतिष्ठा अनमोल..

मै जंगलों से, घाटियोंसे बार बार होता रहूँगा विस्थापित
शहेरों की सडकों पर .
बांधने दूंगा उन्हें मेरी छाती पर
सरदार सरोवर, शौपिंग सेंटर, अम्युझ्मेंट पार्क और अभयारण्य.....

मै न होने दूंगा
तुम्हारे मनको कचोटने का अहसास .....
माँ भले ही तुमने मेरे और उनके बिच
तर तम किया, दगाधोखा भी किया  

वो मेरा भाई, मेरा बाप, मेरा मालिक
मेरा अन्नदाता !
उसकी जूती मेरे दांतों तले..
उसकी मुत्तिसे
झग्मगते रहे 
तुम्हारे सचिवालय, संसद, न्यायपालिकाए..
जब तक सूर्य चन्द्र है.

मै चढ़ता रहूँगा
हर कारगिल जन्ग में
देशभक्ति के क्रोस पर  
तुम्हारी धूलि को
मेरे अछूत लहु का प्रणाम

माँ क्या मैं तुम्हे कभी भी डाकिन नहीं कहूँगा?

- राजु सोलंकी
- अनुवाद - मीना त्रिवेदी