हम अक्षय ठाकुर और उसके दरिंदे साथियों के
शुक्रगुजार है कि उन्हो ने वह दुष्कर्म इस देश की पाटनगरी में किया जो
दुष्कर्म उनके पुरखें हजारों सालों से इस देश की दलित-आदिवासी-मूल निवासी
औरतों के साथ गांवों में करते आये हैं. और इस देश की सुष्माओं को आंदोलित
किया और कहने पर मजबूर किया कि बलात्कारियों को फांसी की सजा दी जाय. तो
शुरुआत हरियाणा से करते हैं. आप की क्या राय है?