शनिवार, 19 दिसंबर 2015

शंकराचार्य और बुद्ध



शंकराचार्य को अगर शंकराचार्य बने रहेना है तो उसे बुद्ध का विरोध करना ही पडेगा. क्योंकि बुद्ध ने कहा था कि हर चीज से संशय करो, चाहे आपके मातापिता ने कही हो, या आपकी परंपरा ने आपको शीखाई हो या किसी तथाकथित दैवी किताब में लिखी हो. शंकराचार्य ने बुद्ध की विचारधारा को यहां जड से उखाडने का काम किया. उसने कहा, संशयात्मा विनिश्यति. अर्थात जो भी इन्सान संशय करेगा, उसका विनाश होगा. पृथ्वी के आसपास सूर्य नहीं, बल्कि सूर्य के इर्दगिर्द पृथ्वी घूमती है ऐसा हनेवाला गेलीलीयो, सेब को वृक्ष से गीरता देखकर गुरुत्वाकर्षण खोजनेवाला न्यूटन और युरेका युरेका कहेते कहेते हमामखाने से नंगा दौडनेवालआर्कीमीडीझ से लेकर रीलेटीवीटी का खोजी आइन्स्टाइन, इन सारे विज्ञानियों ने शंकराचार्य की बात मानी होती तो हम लोग अभी भी गुफाओं में रहेते होते और आसमान में बीजली का तांडव देखकर किसी पथ्थर के आगे नतमस्तक खडे होते.

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