बुधवार, 21 नवंबर 2012

गाय की पूजा



भारत में हजारों सालों से गाय की पूजा होती है. हिन्दु लोग गाय को माता कहते हैं. हम स्कुल में थे, तब गाय पर एक निबंध आता था. काउ इझ एनीमल. काउ इझ फोर फुटेड एनीमल. हमने कभी हमारे शिक्षकों से यह सवाल नहीं पूछा कि गाय को हम क्यों माता कहते हैं. सिर्फ एक ही जानवर को माता का इतनी बडी पदवी क्यों दी गई है?

गाय हजारों सालों से देश के कृषि अर्थतंत्र की जीवनडोर बनी हूई है. गाय खुद दूध देती है, इसक अलावा गाय की संतति भी हमें आर्थिक रूप से अत्यंत उपयोगी है. गाय के बछडे के वृषण काटने से बेल बनता है. बेल प्रजनन नहीं कर सकता. बेल खेती, परिवहन के कामों में उपयोगी होता है. अगर आप किसी आदमी के वृषण काट ले तो उसे कितनी भयानक पीडा होगी? भारतीय दंड संहिता की धारा 307 तहत यह गंभीर गुनाह है और "एटेम्प्ट टु मर्डर" की व्याख्या अंतर्गत आता है.

हजारों सालों से हमने न जाने कितने बछडों के वृषण काटें, उन्हे बेल बनाया, उन्हे हल के साथ बांधकर ढेर सारी फसल उगाई, यहां तक कि उनका प्रजोत्पत्ति का अधिकार भी छीन लिया. अपनी नजर के सामने अपने प्राणप्यारे बछडों के वृषणों को काटते हुए इन्सानों को देखकर गायों को कितना दुख हुआ होगा इसका अंदाजा हम नहीं लगा सकते. जिस हाथ से आप वृषण काटते हैं, इसी हाथ से गाय के मस्तक पर तिलक करते हैं और गाय माता की जय पुकारते हैं. वह आपकी गील्ट फीलींग है या दांभिकता कि आप गाय को माता कहते है...

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