एनडीटीवी के रविशकुमार को
क्या हो गया है? जब समूचा इलेक्ट्रोनिक मीडीया गुजरात के फेंकु की स्तुति कर रहा है, तब
रविशजी उल्टी गंगा बहा रहे हैं. कल नोइडा में जाकर मज़दूरों से मीले. उनसे पूछा कि
अरबों रुपया विज्ञापनों के पीछे खर्चा करनेवाली पार्टियों क लिए मज़दूरों की
स्थिति कोई मुद्दा बनती है कि नहीं. ओर परसों वे गए थे मेरठ के एक गांव में, जहां दलितों
को बांटने के लिए सियासत चल रही है, जाटवों के घरों पर नीला झंडा है, सवर्णो के घरों
पर भगवा है. जहां जमीनी सच्चाई जानने के लिए आसमान में झंडा देखना पडता है.
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