देशद्रोही, गुजरात-विरोधी, कोमवादी, जातिवादी टाइम्स ऑफ इन्डीयाने आज सेकन्ड
पेइज पर भयानक तथ्य उजागर किये हैं, जरा देखें.
1. गुजरात में 0 से 6 साल के
नोर्मल वेइट चील्ड्रन का प्रतिशत 43 हैं. अर्थात्, गुजरात के 57 फीसदी बच्चों का
वजन नोर्मल नहीं है. देश में गुजरात का क्रम 15 है. पंजाब में यह 65 फीसदी है.
2.
देश के कोने कोने से लोग गुजरात रोजीरोटी के लिए आ रहे हैं, इसका मतलब यह नहीं है
कि गुजरात भारतमाता की सेवा कर रहा है. गुजरात में शहरी क्षेत्रों में केझ्युअल
वर्कर्स का एवरेज वेजीझ सिर्फ रू. 106 है. केरल में रू. 218 है.
3. गुजरात में
स्कुल ड्रोपआउट रेट 58 फीसदी है. एक
नागरिक को अपने जीवनकाल में शिक्षण के जितने साल प्राप्त होते हैं, उसे स्कुल लाइफ
एक्सपेक्टन्सी कहते हैं, जो गुजरात में 8.79 फीसदी है, केरल में 11.33 है. इस मामले
में गुजरात का क्रम पूरे देश में 18वां है.
4. 2004 से 2012 के बीच गुजरात में
गरीबी में 7.4 फीसदी कमी आई है. गुजरात की तुलना में ओरीस्सा, उत्तराखंड, हिमाचल
प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्णाटक, राजस्थान का परफोर्मन्स अच्छा है.
5. देश
के मोस्ट पोल्युटेड क्षेत्रो में गुजरात का वापी सबसे उपर है.
6. 2011 में
वाइब्रन्ट गुजरात इन्वेस्टर समीट में साइन किए गए एओयुझ में से सिर्फ 3.1 फिसदी का
अमल हुआ है. एफडीआई लाने में महाराष्ट्र, दिल्ही, कर्णाटक और तमिलनाडु गुजरा त से
आगे हैं.
7. चाइल्ड सेक्स रेशीयो गुजरात में 2011 में 886 है. गुजरात का रेन्क छठ्ठा
है.
ये सारे आंकडे सत्तावार है. अधिकृत है. पाकिस्तान की आइएसआइ के नहीं है.
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